⚠️ देश में फिर मचा हड़कंप: कोल्ड्रिफ सिरप में मिला खतरनाक केमिकल
कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के बाद पूरा देश आक्रोश में है। अब तमिलनाडु में बने “Coldrif” सिरप में भी जहरीला केमिकल मिलने से हड़कंप मच गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सिरप के एक बैच में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नाम का खतरनाक केमिकल पाया गया है — जो शरीर में जाने पर किडनी फेल्योर, लिवर डैमेज, और यहां तक कि मौत तक का कारण बन सकता है।
पहले भी राजस्थान और मध्यप्रदेश में ऐसे ही मामलों में कई बच्चों की जान जा चुकी है, जिससे लोगों में गुस्सा और चिंता दोनों बढ़ गई है।
🚫 सिरप की बिक्री पर रोक
टेस्टिंग रिपोर्ट में पाया गया कि Coldrif सिरप के एक सैंपल में 48.6% DEG मौजूद था — जो बेहद जहरीली और अस्वीकार्य मात्रा है।
इसी वजह से मध्यप्रदेश, तमिलनाडु और अन्य कई राज्यों में इस सिरप की बिक्री और वितरण पर तुरंत रोक लगा दी गई है।
CDSCO (केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन) और राज्य स्वास्थ्य विभाग ने न केवल उत्पादन रोकने का आदेश दिया है, बल्कि कंपनी से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।
दिलचस्प बात यह है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान से भेजे गए सैंपल्स में DEG या Ethylene Glycol (EG) नहीं पाया गया।
इसका मतलब है कि शायद सिर्फ कुछ बैच दूषित थे, जिससे सिरप की क्वालिटी कंट्रोल पर गंभीर सवाल उठे हैं।
💀 डाइएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल इतने खतरनाक क्यों हैं?
दोनों रसायन — Ethylene Glycol (EG) और Diethylene Glycol (DEG) — आमतौर पर इंडस्ट्रियल सॉल्वेंट के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं, जैसे ब्रेक फ्लूइड या एंटीफ्रीज में।
इन्हें दवाओं में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है, क्योंकि ये शरीर में जाकर जहरीले यौगिकों में टूट जाते हैं, जैसे:
- Glycolic Acid
- Oxalic Acid
- Diglycolic Acid
ये पदार्थ किडनी और नर्वस सिस्टम को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। ज़्यादा मात्रा में जाने पर नेफ्रोटॉक्सिसिटी (किडनी ट्यूब डैमेज), ब्लड में एसिड लेवल बढ़ना, और किडनी फेल्योर जैसी स्थितियां हो सकती हैं।
📉 पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं
यह कोई पहला मामला नहीं है जब दूषित सिरप ने बच्चों की जान ली हो —
- 2022, गाम्बिया: भारतीय कफ सिरप के कारण करीब 70 बच्चों की मौत।
- 2023, उज्बेकिस्तान: DEG से दूषित सिरप पीने से कई बच्चों की जान गई।
इन घटनाओं के बाद भारत की दवा क्वालिटी और सेफ्टी सिस्टम पर कई बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवाल उठ चुके हैं।
🌍 DEG/EG को लेकर अंतरराष्ट्रीय नियम
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्पष्ट नियम बनाए हैं:
- किसी भी दवा या सिरप में DEG या EG की मात्रा 0.1% से कम होनी चाहिए।
- बच्चों की दवाओं में इन रसायनों की मात्रा शून्य होनी चाहिए।
- WHO बार-बार चेतावनी देता रहा है कि थोड़ी सी मात्रा भी बच्चों के लिए जानलेवा हो सकती है।
अगर किसी सिरप में DEG या EG पाया जाता है, तो इसे आपात स्थिति मानकर तुरंत जांच और रिकॉल किया जाना चाहिए।
⚗️ कफ सिरप कैसे बनता है
खांसी की दवा मुख्य रूप से इन चीजों से बनाई जाती है:
- API (Active Pharmaceutical Ingredient): जैसे Dextromethorphan या Ambroxol — जो खांसी को कम करते हैं।
- Solvent: पानी, ग्लिसरीन या प्रोपलीन ग्लाइकॉल — दवा को घोलने और स्वाद सुधारने के लिए।
- Stabilizer, Sweetener, Flavor: स्वाद और स्थिरता बनाए रखने के लिए।
अगर निर्माता गलती से इंडस्ट्रियल ग्रेड ग्लिसरीन या प्रोपलीन ग्लाइकॉल का उपयोग करता है, तो उसमें DEG/EG की मिलावट हो सकती है।
यह भी संभव है कि खराब क्वालिटी कंट्रोल, गलत सप्लाई चैन, या उपकरण की गड़बड़ी के कारण यह मिलावट हो गई हो।
DEG और EG बिना रंग और गंध वाले होते हैं, इसलिए पहचानना मुश्किल होता है।
🧪 भारत में दवा क्वालिटी पर सवाल
बार-बार इस तरह के मामले सामने आना दिखाता है कि भारत को अपने Drug Quality Control System को और सख्त बनाने की जरूरत है।
सरकार को दवा बनाने वाली इकाइयों पर सख्त निगरानी करनी होगी ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।
🩺 कफ सिरप लेने से पहले रखें ये सावधानियां
- हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही कफ सिरप लें।
- 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कोई भी कफ सिरप न दें।
- बच्चों और बड़ों की दवा अलग होती है, उसे मिक्स न करें।
- एक्सपायरी डेट और लेबल ज़रूर देखें।
- लोकल या अनजान ब्रांड की दवा न खरीदें।
- डॉक्टर द्वारा बताई गई डोज़ ही लें, ज़्यादा मात्रा नुकसान कर सकती है।
- सिरप को ठंडी और सूखी जगह पर स्टोर करें।
- सिरप लेने के बाद अगर कोई साइड इफेक्ट दिखे — तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
🩸 निष्कर्ष
कफ सिरप में जहरीले केमिकल की मिलावट सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य सिस्टम के लिए चेतावनी है।
अगर आप और आपका परिवार सुरक्षित रहना चाहते हैं, तो दवा लेते वक्त सावधानी, जांच और जागरूकता अपनाएं — यही इस खतरे से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।
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